दूसरे दिन उस ने दो दीनार निकालकर भटियारे को दिए, और कहा ; इस की सेवा टहल करना, और जो कुछ तेरा और लगेगा, वह मैं लौटने पर तुझे भर दूंगा।
2.
मेरा पहली बार सेवा टहल करना शायद बरदाश्त नहीं हुआ उन्हें, मुझे उसी समय याद आ गया पीपल का वो पेड़ जो शायद बरसों से बाट जोह रहा था मेरे दोस्त के हाथों पानी डाले जाने की।